ढुंढता रहा दिल ढुंढता रहा

ढुंढता रहा दिल ढुंढता रहा...
सुनी शामों में, सुनी राहों में,
सुना घर कोई गिरता नजर आया !

ढुंढता रहा दिल ढुंढता रहा...
खोए रिश्तो से, सोए सपनों से
बदली नजरोंसे डरता नजर आया !

ढुंढता रहा दिल ढुंढता रहा...
टुटे वादों में, टूटी कसमों में
उजला फूल उसे हसता नजर आया

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